WhatsApp फ्री होते हुए भी कमाई कैसे करता है
क्या आपने कभी सोचा है कि दुनिया की सबसे बड़ी मैसेजिंग ऐप, WhatsApp जो हमारे लिए पूरी तरह से मुफ्त है, उसके मालिक, मार्क ज़करबर्ग, इससे पैसा कैसे कमाते हैं? ये एक तरह की पहेली जैसी लगती है। जब 2014 में ज़करबर्ग ने WhatsApp को 19 बिलियन डॉलर की हैरान करने वाली कीमत पर खरीदा, तो इससे पूरी दुनिया चौंक गई थी।
आलोचकों ने कहा, "यह तो बस एक मैसेजिंग ऐप है, वो भी बिना विज्ञापन के! मार्क ने तो बहुत बड़ी गलती कर दी!"
लेकिन मार्क ज़करबर्ग एक दूरदर्शी सोच वाले इंसान हैं। उन्होंने केवल एक ऐप नहीं खरीदा, बल्कि दो अरब से ज्यादा लोगों के एक बड़े और सक्रिय नेटवर्क को हासिल किया। उन्होंने इस मुफ्त ऐप को पैसे कमाने की मशीन में बदलने के लिए एक ऐसी 'योजना' बनाई, जो आज भी हमारी चैट को मुफ्त ओर विज्ञापनों से दूर रखता है।
आइए, इस 'योजना' के तीन बड़े पॉइंट्स को जानते है
Point 1: "यूजर फ्री रहें, तो कोई बात नहीं, बिजनेस तो पैसे देंगे!" (बिजनेस ही ग्राहक है, यूजर नहीं)
मार्क ज़करबर्ग का सबसे बड़ा फैसला था कि व्यक्तिगत यूजर अनुभव को खराब नहीं करना। मतलब न तो कोई विज्ञापन ना ही कोई चार्ज।
WhatsApp के संस्थापक विज्ञापनों (Ads) से बहुत नफरत करते थे। ज़करबर्ग ने इस बात का ध्यान रखा और सुनिश्चित किया कि ऐप में कोई बिना बात के विज्ञापन नहीं दिखाए जाएंगे। इसके बजाय, उन्होंने कॉर्पोरेट जगत पर ध्यान केंद्रित किया। की यहां से कैसे पैसा कमाया जाए।
WhatsApp Business API
WhatsApp की असली कमाई का स्रोत WhatsApp Business API है। यह छोटे, मुफ्त WhatsApp Business App से पूरी तरह अलग है। यह API (Application Programming Interface) बड़े बैंकों, एयरलाइन्स, ई-कॉमर्स कंपनियों और अन्य बड़े व्यवसायों के लिए है।
यह कैसे काम करता है?
- कन्वर्सेशन-बेस्ड चार्ज: WhatsApp व्यवसायों से प्रति बातचीत (Per-Conversation) के आधार पर शुल्क लेता है। हर 24 घंटे की बातचीत को एक 'कन्वर्सेशन' माना जाता है।
- विलंबित प्रतिक्रिया पर शुल्क (24-Hour Clock): अगर कोई ग्राहक किसी बिज़नेस को मैसेज करता है, तो बिज़नेस को 24 घंटे के अंदर जवाब देना होता है। अगर वे 24 घंटे बाद जवाब देते हैं, तो उन्हें उस मैसेज के लिए WhatsApp को शुल्क देना पड़ता है। यह नियम व्यवसायों को त्वरित और कुशल ग्राहक सेवा प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित करता है, जिससे यूजर खुश रहते हैं, और WhatsApp की जेब भरती है।
- टेंपलेट मैसेज का शुल्क: जब कोई व्यवसाय ग्राहक को पहली बार मैसेज भेजता है, जैसे: "आपका ऑर्डर डिलीवर हो गया है" या "आपके अकाउंट में ₹5000 क्रेडिट हुए हैं", इसे 'बिजनेस-इनिशिएटिड कन्वर्सेशन' कहा जाता है, जिसके लिए उन्हें भुगतान करना पड़ता है।
उदाहरण: जब आप Flipkart से सामान खरीदते हैं और आपको WhatsApp पर ऑर्डर कन्फर्मेशन या डिलीवरी का अपडेट मिलता है, तो Flipkart को हर उस मैसेज के लिए WhatsApp को पैसे देने होते हैं!
इस तरह, WhatsApp खुद को एक उच्च-गुणवत्ता वाली, भुगतान-आधारित ग्राहक सेवा प्लेटफॉर्म के रूप में पेश करता है। यूजर के लिए ऐप मुफ्त है, लेकिन व्यवसाय अपनी सुविधाओं के लिए खुशी-खुशी पैसे देते हैं।
Point 2: फेसबुक की ताकत का इस्तेमाल (Meta Ecosystem का लाभ उठाना)
WhatsApp अकेला नहीं चलता। यह मार्क ज़करबर्ग की मूल कंपनी Meta (Facebook और Instagram) के साथ सहयोग करता है।
क्लिक-टू-व्हाट्सएप विज्ञापन (Ad Bridge)
Meta की कमाई का बड़ा हिस्सा विज्ञापनों से आता है। ज़करबर्ग ने WhatsApp को सीधा विज्ञापनों से बचाकर एक समझदारी से बनाया हुआ 'पुल' बनाया। ये विज्ञापन फेसबुक और इंस्टाग्राम की फीड में दिखते हैं। विज्ञापन में एक बटन होता है - "WhatsApp पर चैट करें"। जब आप उस बटन पर क्लिक करते हैं, तो आप तुरंत उस विज्ञापन देने वाले व्यवसाय के WhatsApp चैट पर पहुँच जाते हैं। Meta इन विज्ञापनों को दिखाने के लिए व्यवसायों से पैसे लेता है।
इस रणनीति से Meta दो चीजें हासिल करती है एक तो विज्ञापनों से कमाई होती है। ओर दूसरी WhatsApp की उपयोगिता बढ़ती है, क्योंकि अब यह केवल चैट नहीं, बल्कि खरीदारी का गेटवे भी बन गया है। यह एक बेहतरीन तरीका है जहाँ WhatsApp के अरबों यूजर बेस को फेसबुक/इंस्टाग्राम के विज्ञापन नेटवर्क के लिए इस्तेमाल किया जाता है, बिना WhatsApp में विज्ञापन डाले।
Point 3: भविष्य की नींव - पैसे और खरीदारी (The Future: Payments and Commerce)
मार्क ज़करबर्ग WhatsApp को केवल एक मैसेजिंग ऐप नहीं, बल्कि एक 'मिनी-इंटरनेट' बनाना चाहते हैं, जहाँ यूजर सब कुछ कर सकें।
WhatsApp Pay और शॉपिंग
- WhatsApp Pay: भारत और ब्राज़ील जैसे बड़े मार्केट में, WhatsApp तेजी से अपनी भुगतान सेवा (UPI-आधारित) WhatsApp Pay को बढ़ा रहा है।
- भविष्य का मॉडल: आज यह व्यक्तिगत यूजर के लिए मुफ्त हो सकता है, लेकिन आगे चलकर यह व्यवसायों से उच्च-मात्रा वाले लेन-देन (High-Volume Transactions) के लिए शुल्क लेकर या वित्तीय सेवाओं (Financial Services) के माध्यम से कमाई कर सकता है।
- शॉपिंग: WhatsApp अब व्यवसायों को ऐप के अंदर पूरी कैटलॉग बनाने और सामान बेचने की अनुमति देता है। जैसे-जैसे लोग सीधे WhatsApp के माध्यम से खरीदारी करने लगेंगे, Meta उन लेन-देन पर कमीशन कमा सकती है।
अंत में यही कहना चाहुंगा कि मार्क ज़करबर्ग ने 19 बिलियन डॉलर का यह दांव इसलिए खेला। क्योंकि इतने महंगे दाम पर सिर्फ एक ऐप नहीं, बल्कि दो अरब लोगों का यूजर बेस खरीदा, और अब उस यूजर बेस को 'बिजनेस सर्विसेज' (API) और 'विज्ञापनों को WhatsApp से जोड़कर' (Click-to-WhatsApp Ads) बड़े मुनाफे में बदल रहे हैं। फ्री ऐप का मतलब है बड़ा यूजर बेस, और बड़ा यूजर बेस हमेशा पैसा बनाने का रास्ता निकाल ही लेता है। बस तरीका थोड़ा अलग होना चाहिए!

Sach me yaar whatsapp free service dekar bhi itna kama leta hai wah yaar ye to nayi baat maloom hui hai.
जवाब देंहटाएं