जेमिमा रोड्रिग्स (Jemimah Rodrigues)
जेमिमा रोड्रिग्स भारतीय महिला क्रिकेट की सबसे होशियार खिलाड़ियों में से एक मानी जाती हैं। 5 सितंबर 2000 को मुंबई में जन्मी जेमिमा अपनी दाएं हाथ से खेलने की शानदार शैली में बल्लेबाजी और तेज फील्डिंग के लिए जानी जाती हैं। उन्हें टीम में प्यार से 'बेबी' कहा जाता था। लेकिन अभी उन्होंने 30 अक्टूबर 2025 को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वर्ल्ड कप सेमीफाइनल खेलकर ये साबित कर दिया है कि वो दबाव में भी सबसे बड़ी खिलाड़ी बन सकती हैं। टी20 रैंकिंग में शीर्ष 15 में शामिल होने वाली जेमिमा अब वनडे फॉर्मेट में भी खुद को एक वास्तविक मैच-विनर साबित कर चुकी हैं।
जेमिमा रोड्रिग्स ने दबाव में किया रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन
30 अक्टूबर 2025 को नवी मुंबई के डीवाई पाटिल स्टेडियम में भीड़ खचाखच भरी हुई थी। भारत वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम के खिलाफ खेल रहा था। ऑस्ट्रेलिया ने 338 रनों का बड़ा लक्ष्य रखा था। शुरूआत में भारत ने महज 59 रनों पर दो विकेट खो दिए थे। स्टेडियम में सन्नाटा था। यहाँ से जेमिमा ने कप्तान हरमनप्रीत कौर के साथ मोर्चा संभाला। दोनों ने मिलकर तीसरे विकेट के लिए 167 रनों की रिकॉर्ड साझेदारी की। यह साझेदारी महिला वर्ल्ड कप के नॉकआउट इतिहास में भारत की सबसे बड़ी साझेदारी मानी जाती है।
जेमिमा रोड्रिग्स का मैच जिताऊ शतक
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जेमिमा ने मारी 'दहाड़' 127* रनों की ऐतिहासिक पारी खेली। 30 अक्टूबर 2025 को नवी मुंबई के डीवाई पाटिल स्टेडियम में जेमिमा ने भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक ऐसा पल लिखा है जो हमेशा याद रहेगा। हरमनप्रीत के आउट होने के बाद भी जेमिमा ने अपनी एकाग्रता बनाए रखी। उन्होंने 115 गेंदों पर अपने करियर का तीसरा ODI शतक पूरा किया। अंत तक बल्लेबाजी करते हुए उन्होंने नाबाद 127 रनों की मैच जिताऊ पारी खेली। जिसने भारत को 5 विकेट से ऐतिहासिक जीत दिलाई।
जेमिमा रोड्रिग्स का बचपन और क्रिकेट की शुरुआत
जेमिमा का जन्म एक खेल प्रेमी परिवार में हुआ। उनके पिता, इवान रोड्रिग्स, खुद एक कोच और खिलाड़ी रहे हैं, इसलिए खेल उनके खून में था। बचपन से ही उन्होंने क्रिकेट और हॉकी दोनों में गहरी रुचि दिखाई। जब वह सिर्फ 4 साल की थीं, तब उन्होंने अपने पिता के साथ पहली बार बल्ला उठाया। उनके पिता ने उन्हें मुंबई के बांद्रा में एक स्कूल में ट्रेनिंग दिलाई और उनके टैलेंट को निखारा। जल्दी ही यह स्पष्ट हो गया कि जेमिमा में “स्पेशल टेलेंट” है। 10 साल की उम्र तक वह लड़कों की टीम में खेलती रहीं, जहां उन्होंने सबको अपनी क्लास और टाइमिंग से हैरान कर दिया। 13 साल की उम्र में वह अंडर-19 टीम में जगह बना चुकी थीं और अपने शानदार प्रदर्शन के चलते सीनियर लेवल तक पहुँच गईं। जेमिमा का व्यक्तित्व सिर्फ क्रिकेट तक ही सीमित नहीं है। उनकी सफलता के पीछे उनकी मानसिक मजबूती और गहरी आस्था है। वो अपने ईश्वर को भी याद करती है आइए जानते है वो कौनसे धर्म से ताल्लुक रखती है।
ईसाई धर्म से है जेमिमा रोड्रिग्स (Jemimah Rodrigues)
जेमिमा रोड्रिग्स ईसाई धर्म का पालन करती हैं। मंगालोरियन क्रिश्चियन परिवार से होने और रोमन कैथोलिक परंपरा से जुड़ाव उनके जीवन का अहम हिस्सा है। उनकी यह गहरी आस्था उनकी सबसे बड़ी “गुप्त शक्ति” मानी जाती है। ऑस्ट्रेलिया पर जीत के बाद, भावुक जेमिमा ने अपनी सफलता का श्रेय सीधे ईसा मसीह को दिया। उन्होंने साझा किया कि कैसे मानसिक संघर्ष के समय में बाइबिल का एक वचन (“बस स्थिर रहो और ईश्वर तुम्हारे लिए लड़ेंगे”) ने उन्हें दबाव के समय में हिम्मत दी। यह दर्शाता है कि उनकी आस्था उनके लिए सिर्फ धर्म नहीं, बल्कि मानसिक ताकत की नींव है।
हॉकी और संगीत, जेमिमा रोड्रिग्स (Jemimah Rodrigues)
क्रिकेट शुरू करने से पहले, जेमिमा एक कुशल हॉकी खिलाड़ी थीं, जिन्होंने महाराष्ट्र अंडर-17 टीम का प्रतिनिधित्व किया। इसके अलावा, वह एक प्रतिभाशाली संगीतकार और गिटारवादक भी हैं। उनके लिए संगीत तनाव को कम करने और खुद को शांत रखने का एक “राज” है।
अंत में यही कहना चाहूंगा कि जेमिमा रोड्रिग्स की यह पारी बताती है कि जब प्रतिभा को विश्वास और दृढ़ता का साथ मिलता है, तो असंभव भी संभव हो जाता है। उनकी कहानी भारतीय क्रिकेट की नई पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा है, जो यह सीखाती है कि मानसिक शांति और अडिग आस्था बड़ी से बड़ी चुनौतियों का सामना करने की ताकत देती है।
