फिल्में पैसा कैसे कमाती है, Box office से ott तक कभी सोचा है, फ्लॉप फिल्म भी पैसा कमाती है, जानिए कैसे?....

फिल्म पैसा कैसे कमाती है (Films Business Model)

Film-earning

मनोरंजन की दुनिया ओर फिल्म बिजनेस की चकाचौंध को देखकर अक्सर ऐसा लगता है कि फिल्म बनाना बस एक कला है, लेकिन असल में यह एक बहुत बड़ा और कठिन बिजनेस है। हर शुक्रवार को जो फिल्में रिलीज होती हैं, उनका असली मकसद होता है पैसा कमाना। लेकिन ये पैसा आता कहा से है, आपके मन में कभी न कभी ये सवाल आता ही होगा कि फिल्में आखिर पैसा कैसे कामती है? तो आइए जानते है।

आपने कभी सोचा है कि एक फिल्म टिकट बेचकर ही नहीं, बल्कि और किन-किन तरीकों से करोड़ों-अरबों रुपये कमा सकती है? कई लोग मानते हैं कि किसी फिल्म का हिट या फ्लॉप होना सिर्फ बॉक्स ऑफिस कलेक्शन पर निर्भर करता है। लेकिन असलियत इससे कहीं ज्यादा जटिल है। आजकल कई फिल्में थिएटर में अच्छी कमाई न करने के बावजूद, कई तरीकों से अपना बजट निकाल लेती हैं और प्रॉफिट कमाती हैं। आइए देखते हैं फिल्मों की कमाई के कौन कौन से रास्ते है

बॉक्स ऑफिस कलेक्शन

यह कमाई का सबसे ट्रेडिशनल और सबसे चर्चित तरीका है। ओर ये कैसे काम करता है? जब कोई फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज होती है और दर्शक टिकट खरीदकर उसे देखते हैं, ओर वह से जो बिजनेस होता है उसे बॉक्स ऑफिस कलेक्शन कहते है। इसमें टिकटों की बिक्री का कुल पैसा निर्माता, डिस्ट्रीब्यूटर और सिनेमा हॉल के मालिक के बीच एक तय अनुपात में बांट दिया जाता है। हफ्ते के हिसाब से शेयर चेंज होता जो फिल्म की रिलीज के बाद हर हफ्ते बदलता है। पहले हफ्ते में निर्माता/डिस्ट्रीब्यूटर को ज्यादा हिस्सा मिलता है, जबकि बाद में थिएटर का हिस्सा बढ़ता जाता है। 

डिजिटल या OTT राइट्स से कमाई

आजकल, यह फिल्मों की कमाई का सबसे तेजी से बढ़ता हुआ और महत्वपूर्ण सोर्स बन गया है। ओर ये कैसे काम करता है? इसमें फिल्म निर्माता फिल्म को OTT प्लेटफॉर्म्स (जैसे Netflix, Amazon Prime Video, Disney+ Hotstar, ZEE5) को दिखाने का अधिकार बेचते हैं। ओर इसमें कई बार बड़े प्रोडक्शन हाउस अपनी फिल्म रिलीज होने से पहले ही प्री-रिलीज़ डील कर लेते हैं, जिससे उन्हें पहले से अच्छा रेवेन्यू मिल जाता है। OTT डील की वजह से कई फिल्में बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप होने के बावजूद भी निर्माता के लिए सुरक्षित मुनाफा कर लेती हैं।

सैटेलाइट राइट्स से कमाई

OTT से पहले, यह कमाई का दूसरा बड़ा सोर्स होता था। ओर ये कैसे काम करता है? इसमें फिल्म निर्माता फिल्म को टेलीविजन चैनलों को बेचने के लिए अच्छी रकम लेते हैं। यह डील चैनल को फिल्म को वर्षों तक और कई बार प्रसारित करने का अधिकार देती है।

सैटेलाइट राइट्स दो तरह के होते हैं।

  • वर्ल्ड प्रीमियर: पहली बार फिल्म को टीवी पर दिखाने का अधिकार, जिसकी कीमत सबसे ज्यादा होती है।
  • लाइब्रेरी राइट्स: बार-बार फिल्म को दिखाने का अधिकार। इसमें अपने देखा होगा कि सेट-मैक्स पर सूर्यवंशम मूवी बार देखने को मिलती है। 

ओर इसमें सबसे इंटरस्टिंग बात तो ये है कि बड़े सितारों या अच्छी कहानियों वाली फिल्मों पर चैनल ज्यादा बोली लगाते हैं।

म्यूजिक राइट्स से कमाई

भारतीय फिल्मों में म्यूजिक का खास महत्व है, इसलिए इससे भी अच्छी खासी कमाई होती है। इससे कैसे कमाई होती है? फिल्म के गाने, साउंडट्रैक और बैकग्राउंड स्कोर के अधिकार किसी म्यूजिक कंपनी को बेचे जाते हैं। रेडियो, स्ट्रीमिंग और कॉलर ट्यून्स म्यूजिक कंपनी इन गानों से रेडियो प्ले, म्यूजिक स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पर और कॉलर ट्यून्स के जरिए पैसा कमाती है।

ब्रांड प्लेसमेंट और स्पॉन्सरशिप से कमाई 

यह विज्ञापनों से होने वाली कमाई है, जो आजकल एक बड़ा हिस्सा बन गई है फिल्मों की कमाई का ओर इससे कैसे कमाई होती है? इसमें यह होता है कि फिल्म में किसी विशेष प्रोडक्ट या ब्रांड का जानबूझकर उपयोग किया जाता है, जिसे प्रोडक्ट प्लेसमेंट कहते हैं।

जैसे: हीरो का किसी खास ब्रांड के जूते पहनना, या विलेन का किसी खास कार का इस्तेमाल करना। इसके लिए ब्रांड फिल्म के निर्माता को पैसे देता है।

ओवरसीज राइट्स से कमाई

अपने सुना होगा कि इस फिल्म ने विदेश में इतने पैसे कमाए ये वही है इसका जीता जागता उदाहरण है बॉलीवुड की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म दंगल जिसकी अधिकतर कमाई का हिस्सा चाइना से आया था। ओर आयुष्मान खुराना की अंधाधुन भी चाइना में हिट रही थी। ये कैसे काम करता है? भारत से बाहर के देशों में फिल्म दिखाने के अधिकार स्थानीय डिस्ट्रीब्यूटर्स को बेचे जाते हैं। इसमें खास बात ये है कि बड़े स्टार कास्ट वाली फिल्में, जिनकी विदेशों में रहने वाले भारतीय दर्शकों में मांग होती है, वे इस राइट्स से अच्छी कमाई करती हैं।

आज का फिल्म उद्योग केवल टिकटों की बिक्री पर निर्भर नहीं है। एक सफल फिल्म का बिजनेस मॉडल इन सभी रास्तों से प्रॉफिट बनाती है कोई भी फिल्म अपने निर्माण लागत को इन सभी सोर्स से मिलने वाली कुल आय से पूरा करती है।

यही वजह है कि आजकल प्रोड्यूसर्स फिल्म बनाते वक्त ही इन सभी राइट्स का ध्यान रखते हैं ताकि पहले से ही अपनी कमाई को सुरक्षित कर सकें। आखिर में बस यही कहना चाहूंगा कि अगली बार जब आप किसी फिल्म की सफलता का आकलन करें, तो केवल बॉक्स ऑफिस के आंकड़ों पर मत जाइए, बल्कि ऊपर बताए गए सभी बिजनेस मॉडल पर नजर डालकर ही करिएगा।

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