सादियो माने (Sadio Mane) गरीबी से निकला एक लिजेंड जिसने बदल दी अपने गांव की तस्वीर, जाने कैसे था जीवन...

सादियो माने (Sadio Mane)

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फुटबॉल की दुनिया में कई खिलाड़ी हैं जिन्होंने अपनी खेल प्रतिभा से इतिहास रचा है, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जिनका असर मैदान से बहुत आगे तक जाता है। सेनेगल के छोटे से गाँव बाम्बली से निकलकर दुनिया के महंगे खिलाड़ियों में शामिल होने वाले सादियो माने ऐसे ही एक महान व्यक्तित्व हैं। आइए जानते है उनके बारे में।

सादियो माने का जीवन

सादियो माने का जन्म 10 अप्रैल 1992 को सेनेगल के बाम्बली गाँव में हुआ था। यह गाँव बेहद साधारण ओर दुनिया से बहुत पीछे था, जहाँ बुनियादी सुविधाओं का नामोनिशान नहीं था। उनके बचपन का एक बड़ा हिस्सा गरीबी में बीता है। उनका परिवार मुश्किल से खाने के पैसे जुटा पाता था, कभी कभी मिट्टी खाकर अपनी भूख मिटाते थे। और शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाएं तो बस ख्वाब की तरह थी।

माने के पिता, जो कि एक इमाम थे, वो चाहते थे कि सादियो धार्मिक शिक्षा पर ध्यान दें और फुटबॉल न खेलें। लेकिन जब वह सात साल के थे, तभी उनके पिता का निधन हो गया। यह उनके गाँव में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के कारण हुआ। इस घटना ने सादियो पर गहरा असर डाला और शायद वहीं से उनके मन में अपने गाँव के लिए कुछ करने का संकल्प जागा।

फुटबॉल उनके लिए सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि गरीबी से निकलने का एकमात्र रास्ता था। वह फटे जूतों या कभी-कभी बिना जूतों के ही धूल भरे मैदानों पर घंटों अभ्यास करते थे। 15 साल की उम्र में, उन्होंने एक साहसिक फैसला लिया। वह अपने गाँव से भागकर राजधानी डकार गए ताकि फुटबॉल अकादमी में प्रशिक्षण ले सकें। उनके पास न तो पैसे थे और न ही किसी बड़े क्लब से संपर्क। यह उनके सपनों की ओर उनका पहला बड़ा कदम था, एक ऐसा कदम जिसने उनके जीवन की दिशा बदल दी।

सादियो माने का फुटबॉल करियर

डकार में ‘जेनरेशन फुट’ अकादमी से सादियो माने का करियर शुरू हुआ। उनकी गति, फुर्ती और गेंद पर नियंत्रण की प्रतिभा बहुत जल्दी सबके सामने आ गई।

पहला ब्रेक (FC Metz): 2011 में, उन्हें फ़्रांस के क्लब एफसी मेट्ज़ ने साइन किया, फिर वह ऑस्ट्रिया के रेड बुल साल्ज़बर्ग और अंत में इंग्लैंड के साउथम्पटन में गए। इन क्लबों में, उन्होंने खुद को एक तेज-तर्रार और प्रभावशाली विंगर के रूप में स्थापित किया। फिर 2016 में, सादियो माने ने लिवरपूल जॉइन किया, जहाँ उनके करियर ने नई ऊँचाइयों को छुआ। लिवरपूल में, उन्होंने मोहम्मद सलाह और रॉबर्टो फ़िरमिनो के साथ मिलकर एक ऐसी आक्रामक तिकड़ी बनाई जिसने दुनिया के बेहतरीन डिफेंडरों को भी परेशान कर दिया। लिवरपूल के साथ, उन्होंने प्रीमियर लीग और प्रतिष्ठित यूईएफए चैंपियंस लीग जैसी ट्रॉफियां जीतीं।

सेनेगल के लिए गौरव बन गए, राष्ट्रीय टीम के लिए माने एक राष्ट्रीय नायक बन गए। उन्होंने सेनेगल को 2022 में अपना पहला अफ्रीका कप ऑफ नेशंस खिताब दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह देश के सर्वकालिक शीर्ष गोल स्कोरर भी हैं, जो उनकी मेहनत और टीम के प्रति समर्पण का प्रतीक है। ओर अभी सादियो माने सऊदी के अल-नासर क्लब से भी खेलते है

सादियो माने कि विनम्रता

सादियो माने की कहानी का सबसे प्रेरणादायक हिस्सा उनका खेल नहीं, बल्कि उनका स्वभाव और दानशीलता है। अरबों की कमाई करने के बावजूद, वह बेहद विनम्र और साधारण जीवन जीते हैं। एक बार उनकी एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई, जिसमें वह एक टूटा हुआ आईफोन इस्तेमाल कर रहे थे। जब उनसे पूछा गया कि वे नया फोन क्यों नहीं खरीदते, तो उनका जवाब उनके जीवन के दृष्टिकोण को दर्शाता है।

"मैं दस फरारी, बीस हीरे की घड़ियाँ या दो हवाई जहाज़ क्यों खरीदूँ? इनसे मुझे क्या मिलेगा? मैंने गरीबी देखी है। मुझे शिक्षा नहीं मिली, इसलिए मैंने स्कूल बनवाए हैं। मेरे पास जूते नहीं थे, इसलिए मैं गरीब बच्चों को जूते देता हूँ। मेरे पास कपड़े नहीं थे, अब मैं उन्हें अच्छे कपड़े और खाना मुहैया कराता हूँ। मुझे इन सारी चीजों की कोई जरूरत नहीं। मैं चाहता हूँ कि मेरी मेहनत की कमाई मेरे लोगों के काम आए।"

सादियो माने कि उदारता

सादियो माने ने अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा अपने गाँव बाम्बली के उत्थान में लगाया है, जिससे उस गाँव की तस्वीर ही बदल गई है।

  • स्वास्थ्य केंद्र (अस्पताल): उन्होंने लगभग ₹5 करोड़ की लागत से अपने गाँव में एक अस्पताल बनवाया है, ताकि उनके पिता के साथ जो हुआ, वह किसी और के साथ न हो। अब गाँव के लोगों को इलाज के लिए दूर नहीं जाना पड़ता।
  • शिक्षा का प्रकाश (स्कूल): उन्होंने एक माध्यमिक विद्यालय के निर्माण के लिए करीब ₹2.5 करोड़ का दान दिया है। वह छात्रों को लैपटॉप भी प्रदान करते हैं और सबसे अच्छे प्रदर्शन करने वाले छात्रों को वित्तीय सहायता देते हैं।
  • बुनियादी सुविधाएँ: उन्होंने गाँव में 400 से अधिक परिवारों को मासिक लगभग ₹6,000 की आर्थिक सहायता दी है, जिससे कई परिवारों को गरीबी रेखा से ऊपर उठने में सहायता मिली है। इसके अलावा, उन्होंने गाँव में एक मस्जिद का निर्माण कराया है और 4जी इंटरनेट सेवा लाने में मदद की है।

सादियो माने को उनके असाधारण सामाजिक कार्यों के लिए 2022 में उद्घाटन सुकरात पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, जो फुटबॉल में सामाजिक जिम्मेदारी के लिए दिया जाता है।

पारिवारिक जीवन 

सादियो माने कि शादी आयशा तांबा से जनवरी 2024 में हुई। जब उनकी उम्र 31 वर्ष की ओर आयशा तांबा की 19 वर्ष के लगभग होगी। उस वक्त आयशा तांबा एक स्कूल की छात्रा थी।

अंत में यही कहना चाहता हु कि सादियो माने एक ऐसे खिलाड़ी हैं जो यह सिद्ध करते हैं कि सच्ची महानता आपके बैंक बैलेंस से नहीं, बल्कि आपके दिल के आकार से मापी जाती है। वह मैदान पर एक तेज-तर्रार विंगर हैं और मैदान के बाहर एक दयालु, निस्वार्थ व्यक्ति। उनका जीवन एक मजबूत संदेश देता है: सफलता आपको कितना ऊँचा ले जाती है, इससे ज्यादा मायने यह रखता है कि आप अपनी जड़ों को कितना याद करते हैं और समाज को क्या देते हैं। सादियो माने आने वाली सदियों तक फुटबॉल प्रेमियों और मानवता के लिए प्रेरणा बने रहेंगे।

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