जानिए क्यों मनाई जाती है दीपावाली? दिवाली पाँच दिन की ही क्यों होती है? इन पाँच दिनों में, क्यों है खास दीपावाली का दिन….

दिवाली 2025

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क्या आपने कभी सोचा है कि हम हर साल दिवाली क्यों मनाते हैं? क्या ये सिर्फ दीये जलाने और पटाखों का त्योहार है? या इसके पीछे कोई जीवन बदल देने वाली कहानी छिपी है। चलिए जानते हैं बड़ा दिलचस्प टॉपिक है।

दिवाली कितने दिन की होती है?

दिवाली सिर्फ एक दिन की नहीं पाँच दिनों तक मनाई जाती है।

1. धनतेरस: खरीदारी और नई शुरुआत का दिन।

2. नरक चतुर्दशी (रूप चौदस): आत्मा की शुद्धि का प्रतीक।

3. दीपावली: लक्ष्मी और गणेश की पूजा, ओर अपने घरों को रोशन करे।

4. गोवर्धन पूजा: भगवान कृष्ण की विनम्रता और सेवा की याद।

5. भाई दूज: भाई-बहन के प्यार और सुरक्षा का प्रतीक।

धनतेरस क्यों मनाते है?

1. धनतेरस

यह दिन धन और आरोग्य के देवता की पूजा के लिए समर्पित है।

धनतेरस से जुड़ी एक कथा जो आपको याद होनी चाहिए कि आखिर हम धनतेरस मानते क्यों है।

समुद्र मंथन और धनवंतरी की कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के समय भगवान धनवंतरी अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। भगवान धनवंतरी को देवताओं के वैद्य और आयुर्वेद का जनक माना जाता है। इसलिए इस दिन उनकी पूजा की जाती है ताकि हम सभी के परिवार को अच्छा स्वास्थ्य (आरोग्य) और लंबी आयु मिल सके।

ओर इसी दिन कुबेर ओर माता लक्ष्मी जी की पूजा भी की जाती है और लोग इसी दिन नए बर्तन, चांदी-सोना कर कई तरह के नए समान खरीदते है।

धनतेरस के बाद क्या आता है?

धनतेरस के बाद आती है रूप चौदस या नरक चतुर्दशी

रूप चौदस क्या होती है इस दिन क्या हुआ था?

2. रूप चौदस / नरक चतुर्दशी

यह दिन अपना रूप-सौंदर्य और नरक के डर से आजादी पाने का दिन है। 

रूप चौदस से भी एक पौराणिक कथा जुड़ी है जो कि इसके महत्व को समझने में आपकी मदद करेगी और आपको इसे जानना भी चाहिए।

नरकासुर वध की कथा 

ये कथा सबके लाडले कान्हा भगवान श्री कृष्ण से जुड़ी है। माना जाता है कि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को भगवान कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ मिलकर अत्याचारी दुष्ट राक्षस नरकासुर का वध किया था। नरकासुर ने 16,000 कन्याओं को बंदी बना रखा था और देवताओं की नाक में दम कर रखा था। नरकासुर के वध के बाद, उन सभी 16000 कन्याओं को उस दुष्ट राक्षस से मुक्ति मिली और इस विजय की खुशी में दीप जलाए गए।

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रूप चौदस के बाद क्या आता है?

और इसके बाद तीसरे दिन आती है दीपावली।

दीपावली के तीसरे दिन को इतना खास क्यों माना जाता है?

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3. दीपावली / लक्ष्मी पूजा

यह दीपावली के पाँच दिनो में सबसे खास दिन है। इस दिन की गाथा तो हर कोई जनता है पर फिर भी में बता देता हु।

भगवान श्रीराम की अयोध्या वापसी

सनातन धर्म और मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान श्री राम 14 वर्ष का वनवास पूरा करके, रावण को युद्ध में हराने के बाद अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे थे। अयोध्या के लोगों ने अपने पूज्य ओर प्रिय राजा के लौटने की खुशी में पूरे नगर को घी के दीपों से सजाया ओर तभी से यह परंपरा चली आ रही है। दीपावली मनाने की।

ओर इसी दिन माता महालक्ष्मी की पूजा भी होती है और इनसे जुड़ी कथा भी आपको पढ़नी चाहिए।

लक्ष्मी का प्रकट होना

एक और मान्यता यह है कि समुद्र मंथन के दौरान देवी लक्ष्मी भी इसी दिन (कार्तिक अमावस्या को) प्रकट हुई थीं। इसलिए इस दिन धन, समृद्धि और वैभव की देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है।

दीपावली के बाद क्या आता है?

इसके बाद दिवाली का चौथा दिन आ जाता है गोवर्धन पूजा या अन्नकूट।

गोवर्धन पूजा क्यों की जाती है?

4. गोवर्धन पूजा (अन्नकूट)

दीपावली के अगले दिन यह पर्व मनाया जाता है। इससे भी एक दिलचस्प कथा जुड़ी हुई है। वो आपको जरूर पढ़ना चाहिए।

भगवान कृष्ण का गोवर्धन पर्वत उठाना 

यह कथा भगवान श्री कृष्ण और इंद्र देव के अहंकार से जुड़ी है। गोकुल के लोग इंद्र देव को खुश करने के लिए एक विशेष पूजा करते थे। श्री कृष्ण ने उन्हें यह पूजा बंद करने गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा करने के लिए कहा लेकिन इंद्रदेव नाराज हों गए ओर गुस्सा होकर इससे इंद्रदेव ने गोकुल में भयंकर वर्षा कर दी। तब श्री कृष्ण ने अपनी सबसे छोट उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया और सभी गोकुलवासियों और पशुओं को उसके नीचे शरण दी। सात दिनों तक इंद्रदेव ने वर्षा का कहर बरपाया लेकिन अंत में जब अहंकार टूटा ओर प्रभु माफी मांगी लेकिन जब तक श्री कृष्ण पर्वत उठाए रहे। तभी से गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है।

गोवर्धन पूजा के बाद क्या आता है

गोवर्धन पूजा के बाद दिवाली का लास्ट दिन भाई दूज आता है।

भाई दूज क्यों मनाते है?

5. भाई दूज

यह दीपावली के त्यौहार का अंतिम दिन है, जो भाई-बहन के अटूट प्रेम को समर्पित है। इससे भी एक इंटरस्टिंग कथा जुड़ी है।

यम और यमुना

पौराणिक कथाओं के अनुसार, मृत्यु के देवता यमराज और यमुना नदी भाई-बहन थे। यमराज अपनी बहन यमुना से बहुत प्यार करते थे, लेकिन ज्यादा काम की वजह से उनसे मिलने नहीं जा पाते थे। एक दिन यमुना ने यमराज को अपने घर खाने के लिए बुलाया। अपने भाई यमराज के आने पर यमुना ने उनका बहुत आदर-सत्कार किया। इससे प्रसन्न होकर यमराज ने यमुना को वरदान मांगने को कहा। यमुना ने माँगा कि जो भाई इस दिन अपनी बहन के घर आकर भोजन करे और यमुना में स्नान करे, उसे नरक की पीड़ा ना भोगनी पड़े। यमराज ने यह वरदान दिया। तभी से इस तिथि को यमा द्वितीया कहा जाता है और भाई-बहन यह त्योहार मनाते हैं।

दिवाली का शुभ मुहूर्त कब है?

दिवाली का शुभ मुहूर्त (Diwali 2025 Shubh Muhurat)

ज्यादातर ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, इस साल 20 अक्टूबर को ही दिवाली मनाई जाएगी। द्रिक पंचांग के मुताबिक इस साल अमावस्या तिथि की शुरुआत 20 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 44 मिनट पर होगी और तिथि का समापन 21 अक्टूबर की रात 9 बजकर 03 मिनट पर होगा।

दिवाली के दिन लक्ष्मी-गणेश पूजन का सबसे शुभ समय शाम 7 बजकर 08 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। इस समय को माता। लक्ष्मी और भगवान गणेश की कृपा लेने के लिए सबसे अच्छा समय माना जा रहा है। यानी कि आप सभी को पूजा के लिए करीब 1 घंटा 11 मिनट का समय मिलेगा जिसमें आप आराम से पूजा कर सकते है।

अंत में “मै बस यही कहना चाहूंगा कि सच में दिवाली भारतवर्ष का एक महत्वपूर्ण ओर खुशियों का त्यौहार है और भारत के निवासी इसे बड़ी धूम धाम से मनाते है। लेकिन मै ये कहना चाहता हु की इस दिन को सिर्फ आप लोग पटाखों से ही नहीं बल्कि अपने अंदर की एक बुराई को मारकर मनाए। 

आप सभी इस साल दिवाली अच्छे से मनाए। 

आपको दिवाली हार्दिक शुभकामनाएं 

“Happy DIWALI”

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