बिहार चुनाव 2025
बिहार में एक बार फिर से सरकार का गठन हो चुका है। चुनाव परिणाम चाहे जैसे भी हों, यह साफ है कि लोगों ने एक गठबंधन को सत्ता की चाबी दी है। लेकिन क्या सिर्फ सरकार बना लेना ही जीत है? जनता, जिसने नेताओं पर विश्वास जताया है, उसकी नज़र इस बात पर है कि उनके जीवन में क्या बदलाव आएगा। इसी अनसुलझे सवाल का जवाब खोजने की कोशिश है, सभी मिलकर जीत तो गए, पर क्या बिहार का विकास भी होगा?'
बिहार चुनाव जनादेश कौन बना रहा है सरकार?
ताज़ा चुनावी रुझानों और नतीजों के अनुसार, यह स्पष्ट है कि किसी एक पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है, और गठबंधन की सरकार बन रही है। मौजूदा रुझानों में, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सबसे बड़ी जीत की ओर बढ़ता दिख रहा है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) और जनता दल यूनाइटेड (JDU) मिलकर सरकार बनाने की स्थिति में हैं। हालांकि, चुनाव परिणामों में हर सीट पर कड़ा मुकाबला देखने को मिला है, और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) एक मजबूत विपक्ष के रूप में उभरा है।
लोगों ने पार्टियों को मिलाकर चुनाव जीतने का मौका तो दे दिया है, लेकिन उनके मन में एक ही सवाल है: इस नई सरकार के राज में 'विकास' का क्या होगा?
बिहार की मुख्य समस्या: बिहार में पलायन क्यों रुकता नहीं?
बिहार की सबसे बड़ी त्रासदी उसका पलायन है। आज भी बिहार का मेहनती और हुनरमंद युवा दिल्ली, मुंबई, पंजाब, गुजरात और यहाँ तक कि विदेशों में काम करने को मजबूर है। इसकी मुख्य वजहें जिन पर पिछले कई सरकारें काबू नहीं पा सकी हैं।
बिहार में रोजगार का अभाव: बिहार में बड़े उद्योगों की कमी है। खनिज संपदा झारखंड के साथ बंट गई और कृषि पर आधारित अर्थव्यवस्था प्राकृतिक आपदाओं ने कमजोर कर दी है। नतीजतन, युवाओं के लिए स्थायी नौकरियों की भारी कमी है।
बिहार में शिक्षा और स्वास्थ्य की दयनीय स्थिति: अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की तलाश में लोग दूसरे राज्यों की ओर देखते हैं।
बिहार में आधारभूत संरचना की कमी: सड़कों, बिजली, और पानी में कुछ सुधार हुआ है, लेकिन औद्योगिक विकास के लिए यह अभी भी अपर्याप्त है।
बाढ़ का झंझट: हर साल उत्तरी बिहार में बाढ़ कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को तबाह कर देती है।
जातिवाद और भ्रष्टाचार: विकास में भ्रष्टाचार एक बड़ी बाधा है, और सामाजिक-राजनैतिक जीवन में जातीय समीकरण का प्रभाव बना रहता है।
एक अनुमान के अनुसार, बिहार के लगभग 3 करोड़ लोग ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्टर्ड हैं, जिनमें से ज्यादातर मजदूर दूसरे राज्यों में पलायन करते हैं। यह आंकड़ा बताता है कि बिहार की लगभग 50% आबादी पलायन के संकट में है, और 90% मजदूरों की मासिक आय ₹10,000 से कम है।
बिहार में भुखमरी और गरीबी की गंभीर स्थिति
बिहार की एक और बड़ी समस्या गरीबी और कुपोषण है। नीति आयोग की रिपोर्ट बताती है कि पिछले 9 सालों में 3.77 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर आए हैं, फिर भी बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) के अनुसार, बिहार देश के सबसे गरीब राज्यों में से एक है।
बिहार में कुपोषण: राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) के अनुसार, बिहार में बच्चों में अविकसितता और कमजोरी की दर चिंताजनक रूप से ज्यादा है। बाल कुपोषण एक बड़ी समस्या है जो बच्चों के भविष्य को अंधकार में धकेल रही है।
नीतीश कुमार: 'सुशासन बाबू' की लंबी पारी के बाद भी क्यों है बदहाली?
नीतीश कुमार लंबे समय से बिहार की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, उन्हें 'सुशासन बाबू' के नाम से भी जाना जाता है। उनके शासनकाल में सड़कों, बिजली, और कानून-व्यवस्था में निश्चित सुधार हुए हैं, जिनसे इनकार नहीं किया जा सकता।
लेकिन सवाल यह है, इतनी लंबी पारी खेलने के बाद भी बिहार आज सबसे पिछड़े राज्यों में क्यों है?
बिहार में औद्योगिक विकास पर ध्यान न देना: उनका ध्यान मुख्य रूप से बुनियादी ढाँचे और सामाजिक सुधारों (जैसे शराबबंदी) पर रहा है, लेकिन बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा करने वाले औद्योगिक विकास पर काम नहीं हुआ।
बिहार में पलायन की समस्या का हल न होना: अगर राज्य में युवाओं के लिए पर्याप्त मौके होते, तो पलायन इतनी बड़ी समस्या नहीं बनती।
बिहार में योजनाओं की धीमी गति और भ्रष्टाचार: कई कल्याणकारी योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक नहीं पहुँच पाता, और भ्रष्टाचार अभी भी बड़ी चुनौती है।
क्या नीतीश कुमार अच्छे नेता हैं? उन्होंने बिहार को जंगलराज की छवि से बाहर निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन बिहार को विकसित राज्य बनाने की जो अंतिम छलांग बाकी है, वो अभी अधूरी है।
बिहार में वादे, नेता और जनता का लालच
चुनाव के दौरान नेता बड़े-बड़े वादे करते हैं, और जीतने के बाद उन्हें पूरा क्यों नहीं करते? यह सवाल सिर्फ बिहार नहीं, पूरे देश की राजनीति का हिस्सा है।
बिहार में सत्ता की प्राथमिकता: एक बार सत्ता में आने के बाद, नेता अक्सर चुनाव जीतने की राजनीति को विकास की राजनीति से ऊपर रख देते हैं।
बिहार में फ्री की योजनाएँ: 'फ्री' की योजनाओं का लालच एक राजनीतिक हथियार बन गया है। नेता जानते हैं कि तुरंत लाभ देने वाली योजनाएँ जनता को आकर्षित करती हैं, भले ही ये राज्य की अर्थव्यवस्था पर बोझ डालें।
क्या बिहार में सभी मुख्यमंत्री भ्रष्ट थे? यह कहना गलत होगा कि बिहार के सभी मुख्यमंत्री भ्रष्ट थे। हर नेता ने अपनी समझ और परिस्थितियों के अनुसार काम किया। लेकिन यह भी सच है कि भ्रष्टाचार और राजकोष का दुरुपयोग बिहार के विकास में एक स्थायी अवरोध बना रहा है।
आगे का सफर क्या यह सरकार बिहार का भला करेगी?
बिहार की जनता विकास चाहती है, यह उसके बंपर मतदान से साफ है। अब लोग केवल जाति या मुफ्त योजनाओं से नहीं बहकते, बल्कि वे काम देखना चाहते हैं।
यह नई सरकार तभी बिहार का भला कर सकती है जब वह इन तीन चीज़ों पर सख्ती से काम करे:
बिहार में औद्योगिकीकरण और रोजगार सृजन: कृषि पर निर्भरता को कम करते हुए नए उद्योगों को बढ़ावा देना होगा, ताकि युवाओं को स्थायी रोजगार मिल सके।
बिहार में शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार: मानव संसाधन को मजबूत करने के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता को सुधारना होगा।
बिहार में भ्रष्टाचार पर नियंत्रण: योजनाओं को जमीन तक पहुँचाने के लिए पारदर्शिता और जवाबदेही लानी होगी।
बिहार की जनता ने एक बार फिर नेताओं पर विश्वास जताया है। अब नेताओं की बारी है कि वे सिर्फ सत्ता की साझेदारी न करें, बल्कि विकास की साझेदारी करें। अगर इस बार भी सिर्फ 'सरकार' बनी और 'विकास' नहीं हुआ, तो बिहार की बदहाली और पलायन की कहानी दशकों तक चलती रहेगी।
बिहार को अब 'सुशासन' नहीं, 'परिवर्तन' चाहिए
बिहार चुनाव 2025: जनता के मन में उठते प्रमुख सवाल (FAQ)
Q.1 नई सरकार बनने के बाद बिहार में सबसे बड़ा विकास का मुद्दा क्या है?
Ans. नई सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती रोजगार सृजन, पलायन पर रोकथाम और औद्योगिक विकास को तेज करना है।
Q.2 बिहार में पलायन क्यों नहीं रुक रहा है?
Ans. पलायन के पीछे मुख्य वजहें हैं रोजगार की कमी, उद्योगों का अभाव, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की कमजोर स्थिति, और खेती पर निर्भरता।
Q.3 क्या नीतीश कुमार के लंबे कार्यकाल में बिहार का विकास हुआ है?
Ans. बुनियादी ढांचे और कानून-व्यवस्था में सुधार तो हुआ है, मगर औद्योगिकीकरण और नौकरी के अवसरों में जिस तेजी की जरूरत थी, वो नहीं आई।
Q.4 बिहार आज भी देश के सबसे गरीब राज्यों में क्यों गिना जाता है?
Ans. कम रोजगार, कुपोषण, शिक्षा और स्वास्थ्य की कमी, बाढ़, और योजनाओं की धीमी प्रगति जैसे कारण बिहार को अब भी पिछड़ा बनाए रखते हैं।
Q.5 क्या बिहार में औद्योगिक विकास संभव है?
Ans. हाँ, ये संभव है, लेकिन इसके लिए सरकार को निवेश के अनुकूल माहौल, बेहतर बुनियादी ढांचा, बिजली और लॉजिस्टिक्स में सुधार करना होगा।
Q.6 नई सरकार बिहार की सबसे बड़ी समस्या कौन-सी दूर कर सकती है?
Ans. सरकार अगर उद्योगों, कौशल विकास और निवेश पर ध्यान केंद्रित करे तो सबसे बड़ी समस्या—रोजगार की कमी और पलायन—को हल किया जा सकता है।
Q.7 बिहार को अभी किस तरह के बदलाव की सबसे ज्यादा जरूरत है?
Ans. बिहार को 'सुशासन' से आगे बढ़कर रोजगार आधारित विकास, पारदर्शिता और भ्रष्टाचार-मुक्त शासन की सबसे अधिक आवश्यकता है।
