भारत में AQI (Air Quality Index) बढ़ता वायु प्रदूषण
भारत देश के कई हिस्सों में वायु प्रदूषण का स्तर लगातार खतरनाक बना हुआ है। हाल ही में आई वैश्विक रिपोर्ट ने एक बार फिर चिंता बढ़ा दी है। हमारे महानगरों से लेकर छोटे शहरों तक की हवा में ज़हर घुल रहा है, जिससे आम आदमी का स्वस्थ जीवन जीना मुश्किल होता जा रहा है।
AQI क्या है, AQI का सही स्तर क्या होना चाहिए?
वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI - Air Quality Index) हवा की गुणवत्ता को मापने का एक महत्वपूर्ण पैमाना है। यह बताता है कि हवा कितनी साफ है या कितनी प्रदूषित। AQI का मान जितना कम होगा, हवा उतनी ही स्वच्छ मानी जाएगी। स्वस्थ और सुरक्षित हवा के लिए AQI का स्तर 0 से 50 के बीच होना चाहिए।
भारत में AQI को 6 श्रेणियों में बांटा गया है, और हर श्रेणी का स्वास्थ्य पर अलग असर होता है:
0-50 (अच्छा): यह सबसे कम जोखिम वाला स्तर है। यहाँ की हवा साँस लेने के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है।
51-100 (संतोषजनक): इस हवा में संवेदनशील लोगों को हल्की दिक्कत हो सकती है।
101-200 (मध्यम): फेफड़ों की बीमारी वाले लोग, बच्चे और बुजुर्गों को असुविधा महसूस हो सकती है।
201-300 (खराब): लंबे समय तक संपर्क में रहने पर सांस लेने में तकलीफ और दिल की बीमारी वाले लोगों को परेशानी हो सकती है।
301-400 (बहुत खराब): इस स्तर पर लंबे समय तक रहने से श्वसन रोग हो सकते हैं।
401-500+ (गंभीर): यह आपातकालीन स्थिति है, जो स्वस्थ लोगों को भी गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है।
भारत विश्व में: 5वाँ सबसे प्रदूषित देश
स्विस कंपनी IQAir की रिपोर्ट 2024 के अनुसार, भारत दुनिया का 5वाँ सबसे प्रदूषित देश है। यह दर्शाता है कि भारत की हवा में PM2.5 (पार्टिकुलेट मैटर 2.5) का औसत स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा (5 µg/m³) से लगभग 10 गुना अधिक है। यह स्थिति न केवल राष्ट्रीय चिंता का विषय है, बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य संकट को भी दिखाती है।
सबसे चिंताजनक यह है कि दुनिया के 100 सबसे प्रदूषित शहरों में से 92 भारत में हैं। राजस्थान के श्री गंगानगर, हरियाणा के सिवानी और पंजाब के अबोहर जैसे छोटे शहर भी अब दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहरों को पीछे छोड़ते हुए प्रदूषण की 'खतरनाक' श्रेणी में आ चुके हैं।
वायु प्रदूषण का हमारे शरीर पर घातक प्रभाव
वायु प्रदूषण अब सिर्फ पर्यावरण की समस्या नहीं रह गई, बल्कि यह गंभीर स्वास्थ्य संकट बन गया है। हवा में मौजूद सूक्ष्म कण (PM2.5 और PM10) और दूसरे जहरीले गैसें हमारे शरीर के विभिन्न हिस्सों पर असर डाल रही हैं:
श्वसन तंत्र पर असर: प्रदूषक कण फेफड़ों में गहराई तक पहुंचकर सूजन पैदा करते हैं, जिससे अस्थमा, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस और क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) जैसी बीमारियाँ बढ़ जाती हैं। बच्चों में फेफड़ों की क्षमता कम हो जाती है।
हृदय और रक्त पर असर: PM2.5 कण रक्तप्रवाह में घुसकर दिल की बीमारियों, उच्च रक्तचाप (Hypertension) और स्ट्रोक का जोखिम बढ़ाते हैं। महिलाओं में उच्च रक्तचाप का खतरा अधिक होता है।
अन्य गंभीर खतरे: लंबे समय तक प्रदूषण के संपर्क में रहने से कैंसर (विशेषकर फेफड़ों का कैंसर), कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली, आँखों में जलन, त्वचा पर एलर्जी, और यहाँ तक कि मानसिक तनाव और मस्तिष्क संबंधी समस्याएँ भी हो सकती हैं।
सिगरेट के धुएं से भी खतरनाक?
सबसे चौंकाने वाला तथ्य ये है कि कई बार वायु प्रदूषण का स्तर सिगरेट पीने जितना या उससे भी अधिक हानिकारक हो जाता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 250 से ऊपर पहुँच जाता है, तो उस हवा में सांस लेना दिन भर में लगभग 8 से 10 सिगरेट पीने के बराबर होता है। अगर AQI 300 या 400 के पार चला जाए, तो यह 12 से 20 सिगरेट या शायद और भी अधिक के बराबर प्रदूषण आपके शरीर में पहुँचाता है।
यह तुलना बताती है कि जो लोग धूम्रपान नहीं करते, वे सिर्फ सांस लेने से ही सिगरेट के धुएं के समान हानिकारक कणों को अपने फेफड़ों में डाल रहे हैं। ये स्थिति उन लोगों के लिए सबसे अधिक खतरनाक है जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता पहले से ही कमजोर है, जैसे बच्चे और बुजुर्ग।
वायु प्रदूषण इसका समाधान क्या हो सकता है
इस ज़हरीली हवा के खिलाफ हमें तुरंत कदम उठाने होंगे। सरकार, उद्योग, और आम नागरिक - सभी को मिलकर इस दिशा में प्रयास करना होगा:
पराली जलाने पर रोक: किसानों को वैकल्पिक उपाय और प्रोत्साहन देना।
स्वच्छ ऊर्जा का प्रचार: जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करना और सौर तथा पवन ऊर्जा के उपयोग को बढ़ाना।
वाहनों का नियंत्रण: सार्वजनिक परिवहन का अधिक उपयोग करना और पुराने, अत्यधिक प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को हटाना।
जागरूकता और बचाव: प्रदूषण के उच्च स्तर पर घर के अंदर रहना, एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करना, और N95 मास्क पहनना।
भारत को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए एक व्यापक, राष्ट्रीय एयरशेड प्रबंधन योजना की ज़रूरत है, ताकि सभी नागरिकोंको स्वच्छ हवा का हक मिले।
वायु प्रदूषण से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)
1. AQI क्या होता है और इसका सही स्तर क्या है?
Ans. AQI यानी Air Quality Index, हवा की गुणवत्ता मापने का पैमाना है। इसका मान 0 से 50 के बीच होना चाहिए, जो "अच्छा" स्तर माना जाता है। इससे ऊपर जाने पर हवा प्रदूषित मानी जाती है।
2. भारत में वायु प्रदूषण इतना ज़्यादा क्यों है?
Ans. भारत में पराली जलाना, बढ़ते वाहन, औद्योगिक उत्सर्जन, निर्माण कार्यों से उठने वाली धूल और जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं।
3. प्रदूषित हवा से शरीर पर क्या असर पड़ता है?
Ans. प्रदूषण से सांस की बीमारियाँ, अस्थमा, फेफड़ों का कैंसर, दिल की बीमारी, त्वचा और आँखों में जलन जैसी समस्याएँ बढ़ जाती हैं। लंबे समय तक इसका असर बहुत गंभीर हो सकता है।
4. क्या वायु प्रदूषण सिगरेट के धुएं से भी खतरनाक है?
Ans. हाँ, कई बार प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ जाता है कि यह रोज़ाना कई सिगरेट पीने जितना हानिकारक होता है। AQI अगर 300 से ऊपर हो जाए, तो यह 12 से 20 सिगरेट के बराबर माना जाता है।
5. प्रदूषण से बचने के क्या उपाय हैं?
Ans. पराली जलाने पर रोक, सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल, स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देना, एयर प्यूरीफायर और N95 मास्क का प्रयोग, प्रदूषण के दिनों में बाहर कम निकलना।
6. भारत दुनिया में कौन-से स्थान पर है प्रदूषण के मामले में?
Ans. IQAir रिपोर्ट 2024 के मुताबिक, भारत दुनिया का 5वाँ सबसे प्रदूषित देश है, और दुनिया के 100 में से 92 सबसे प्रदूषित शहर भारत में हैं।

Govt ko is mudde per bhi sochna chahiye or jitna ho sake pradushan kam krne ke upay karne chaiye
जवाब देंहटाएं